Shri Krishna Janmashtami परिचय
श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पावन पर्व है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को, विशेष रूप से निशिता काल (मध्यरात्रि) में, बड़े धूमधाम और भक्ति के साथ मनाया जाता है। मथुरा, वृंदावन, द्वारका और देश-विदेश के इस्कॉन मंदिरों में इस दिन विशेष आयोजन होते हैं। Shri Krishna Janmashtami 2025

Shri Krishna Janmashtami 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पर्व | अष्टमी तिथि प्रारंभ | अष्टमी तिथि समाप्त | पूजन मुहूर्त प्रारंभ | पूजन मुहूर्त समाप्त | पूजन अवधि |
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025 | 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे | 16 अगस्त 2025, रात 9:34 बजे | 16 अगस्त 2025, रात 12:04 बजे | 16 अगस्त 2025, रात 12:47 बजे | 43 मिनट |
📌 नोट: पंचांग के अनुसार समय में स्थानीय अंतर संभव है, अपने क्षेत्र के अनुसार समय जरूर जांच लें।
Shri Krishna Janmashtami व्रत कथा
धर्मग्रंथों के अनुसार, Shri Krishna Janmashtami, मथुरा के राजा कंस की बहन देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ। विवाह के समय एक आकाशवाणी हुई कि कंस की मृत्यु उसकी बहन के आठवें पुत्र के हाथों होगी। भयभीत कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में कैद कर दिया और उनके सातों संतानें क्रमशः मार दीं।
अष्टमी की रात, घोर अंधकार और वर्षा के बीच, भगवान विष्णु ने वासुदेव-देवकी के यहां श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया। वासुदेव ने चमत्कारिक रूप से जेल के द्वार खुलते देखे और कृष्ण को यमुना पार गोकुल में नंद-यशोदा के घर पहुंचाया। यह कथा अच्छाई की बुराई पर विजय और धर्म की स्थापना का प्रतीक है। Janmashtami 2025
पूजा विधि Shri Krishna Janmashtami 2025
- व्रत की तैयारी: प्रातः स्नान कर संकल्प लें।
- मंदिर/घर में सजावट: फूलों, तोरण और झूले से मंदिर सजाएं।
- कृष्ण जन्म सज्जा: बाल गोपाल को सुंदर वस्त्र पहनाएं, मोरपंख व बांसुरी से सजाएं।
- पंचामृत स्नान: दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
- भजन-कीर्तन: “नंद के आनंद भयो” जैसे भजन गाएं।
- मध्यरात्रि पूजा: निशिता काल में आरती और प्रसाद वितरण करें।
- प्रसाद: मक्खन-मिश्री, पंजीरी, माखन से बना प्रसाद बांटें।
जन्माष्टमी का महत्व Shri Krishna Janmashtami
- धर्म की स्थापना: श्री कृष्ण का जन्म धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए हुआ।
- भक्ति का संदेश: कृष्ण भक्ति, प्रेम, और जीवन के आनंद का प्रतीक हैं।
- गोपियों का प्रेम: रास-लीला हमें निष्काम प्रेम की शिक्षा देती है।
भारत में प्रमुख उत्सव स्थल Janmashtami 2025
- मथुरा: कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में भव्य झांकियां और कीर्तन।
- वृंदावन: बैंक बिहारी और इस्कॉन मंदिर में भक्ति रस की अद्भुत झलक।
- द्वारका: जगत मंदिर में विशाल आरती।
- महाराष्ट्र: दही हांडी प्रतियोगिता।
दही हांडी परंपरा
महाराष्ट्र और गुजरात में जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी उत्सव मनाया जाता है। इसमें युवक-युवतियां पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर बंधी दही की हांडी फोड़ते हैं। यह श्री कृष्ण के बचपन की मक्खन-चोरी लीला का प्रतीक है।
व्रत के नियम और सावधानियां
- व्रत में केवल फलाहार या निर्जला उपवास करें।
- हेल्थ इश्यू वाले लोग डॉक्टर से सलाह लेकर व्रत करें।
- पूजा के समय ध्यान पूरी श्रद्धा से लगाएं।
आधुनिक तरीके से जन्माष्टमी मनाना
- सोशल मीडिया पर लाइव भजन प्रसारण।
- वर्चुअल झूला सजावट प्रतियोगिता।
- बच्चों को कृष्ण लीला की कहानियां सुनाना।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जीवन में प्रेम, भक्ति और धर्म के पालन का संदेश है। आइए, इस वर्ष 2025 में हम सब मिलकर श्रद्धा और आनंद के साथ यह पर्व मनाएं और अपने जीवन में श्री कृष्ण के उपदेशों को अपनाएं।